इंडिया में अनजाने…दिलचस्प सैर के ठिकाने

mokokchung%2Bnagaland
mokokchung nagaland

अगर आपका भीड़भाड़ वाले पर्यटन के ठिकाने से मन ऊब गया हो, तो हमारे साथ चलिए देश के कुछ ऐसी अनजानी जगहों की सैर पर, जहां न सिर्फ पर्यटन के सभी आकर्षण मौजूद हैं, बल्कि प्रकृति की खूबसूरती भी ऐसी है कि वहां से वापस आने का मन ही नहीं होगा… 
मोकोकचुंग, नागालैंड
मोकोकचुंग को नागालैंड की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी कहा जाता है। इस जगह की खासियत है कि यहां के नगा आदिवासियों की औसत आयु 85-95 वर्ष होती है। हालांकि गांवों में 100 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग भी आसानी से देखे जा सकते हैं। यह कोहिमा से करीब 148 किमी. की दुरी पर समुद्र तल से करीब 1325 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां का मौसम काफी सुहावना होता हैं। ऊंचे पहाड़ और कल-कल बहती नदियों की ध्वनि पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है। त्जुरंगकोंग, जपुकोंग और चांगकिकोंग इसकी प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं हैं। यहां आप रोमांचक यात्राओं का आनंद उठा सकते हैं। इसके अलावा, इन पहाड़ियों से पुरे मोकोकचुंग के मनोहारी दृश्य भी देखे जा सकते हैं। पर्यटक फ्यूज़न केई और मोंगजु की गुफाओं की यात्रा कर सकते हैं। अभी तक इन गुफाओं की पूरी जानकारी हासिल नहीं हो पाई हैं, लेकिन स्थानीय निवासियों का मानना है कि ये गुफाएं लगभग 25 किमी. लंबी हैं। उंग्मा मोकोकचुंग से 3 किमी. की दुरी पर स्थित है। उंगमा गांव और आदिवासियों का सबसे बड़ा और पुराना गांव है। मोकोकचुंग क्रिसमस, नववर्ष, और मोत्सु उत्सव के समय जीवंत हो उठता है। इसके अलावा, यहां पर हथकरघा और हस्तशिल्प की शानदार कलाकृतियां भी देखी जा सकते हैं। ये कलाकृतियां पर्यटकों को खूब पसंद आती हैं। यहां पर बजट होटल्स भी उपलब्ध हैं। खाने में स्थानीय नगा फ़ूड का लुत्फ़ उठा सकते हैं, जिसमें चावल के साथ अलग-अलग तरह के पोर्क, चिकन और मछलियां को परोसा जाता है। यह शहर बेकरी प्रोडक्ट के लिए भी जाना जाता है।


कनाताल, उत्तराखंड

kanatal uttarakhand
kanatal uttarakhand

चारों तरफ हरियाली से घिरा कनाताल हिल स्टेशन ऐसे कपल्स के लिए बेहतरीन जगह है, जो भीड़भाड़ से दूर सुकून की तलाश में रहते हैं। आमतौर पर यहां पर्यटकों की ज्यादा भीड़ नहीं होती है, लेकिन प्राकृतिक छटा किसी नमी-गिरामी पर्यटन स्थल से कम नहीं है। यही कारण है कि कनाताल नए कपल के लिए मुफीद जगह है। यह उत्तराखंड में घनोल्टी के पास स्थित है। यह चंबा-मसूरी रोड पर समुद्र तल से करीब 8500 फ़ीट कि ऊंचाई पर है। कैंपिंग के लिहाज से भी आदर्श स्थल है। यहां से तकरीबन 10 किमी. की दुरी पर सुरकंडा देवी मंदिर है, जो काफी लोकप्रिय है। धनोल्टी में एक ईको पार्क भी है। एडवेंचर पसंद लोग यहां से करीब एक किमी. की दुरी पर कोडिया जंगल जा सकते हैं, जहां झरनों के अलावा कई दूसरे तरह के वन्य जीव भी दिखाई दे जाएंगे। इतना ही नहीं, यहां आप हाइकिंग, आयुर्वेद स्पा और नेचुरल वॉक का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं। कनाताल दिल्ली से करीब 300 किमी. दूर है। यह मसूरी से 40 किमी. और धनोल्टी से सिर्फ 11 किमी. की दुरी पर है।
 
शोजा, हिमाचल प्रदेश

Tirthan-Valley-Himachal-Pradesh-bestadwise
Tirthan-Valley

वीकेंड पर शोरगुल से दूर प्रकृति का आनंद लेने का मन हो तो बैग पैक कर शोजा की तरफ निकल पड़िए। हिमाचल प्रदेश के सेराज घाटी में स्थित शोजा प्राकृतिक रूप से बेहद शांत व समृद्ध गांव है। यहां से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां बड़ी ही खूबसूरत दिखाई देती है। आमतौर पर पर्यटक कसौल तक ही रुक जाते हैं, लेकिन यहां पहाड़, खूबसूरत गेस्ट हाउस और एक छोटा-सा वाटरफॉल वीकेंड में चार चांद लगा देगा। प्रकृति की गोद में स्थित वाटरफॉल प्वाइंट बेहद खूबसूरत है, जिसे अवश्य देखना चाहिए। यह शोजा से लगभग एक किलोमीटर की दुरी पर है। सुबह की सैर के लिए लोग यहां आते हैं। शोजा के करीब 5 किमी. की दुरी पर जालोरी पास है। यह समुद्र तल से करीब 3125 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां से हिमालय के मनोरम दृश्य को करीब से निहारने का मौका मिल सकता है। शोजा के कार ड्राइव कर या फिर ट्रैक कर एक-डेढ़ घेंट में जालोरी पास पहुंच सकते हैं। ट्रैक के रास्ते में घने जंगल और विभिन्न प्रजातियां के पेड़-पौधों आदि दिखाई देंगे। अगर फिशिंग का शौक रखते हैं, शोजा से तीर्थन वैली भी जा सकते है। मार्च से जून और सितम्बर से अक्टूबर का महीना सबसे शोजा के लिए उपयुक्त मन जाता है। यहां का निकटतम हवाई अड्डा भुंतर है, जो करीब 54 किमी. की दुरी पर है। निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर है।

पोनमुडी, केरल

ponmudi kerla
ponmudi

तिरुवनन्तपुरम से कुछ किलोमीटर की दुरी पर बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है पोनमुडी। यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए बेहद खास है। चारों तरफ हरियाली, पहाड़ी फूल, तितलियां आदि पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं। इसके अलावा, यह एक आदर्श ट्रैकिंग और हैकिंग स्थल भी है। अगर यहां के मुख्य आकर्षण की बात करें, तो गोल्डन वैली, पेप्पारा वन्यजीव अभ्यारण्य आदि प्रमुख हैं। पेप्पारा अभयारण्य तकरीबन 53 किलोमीटर में फैला हुआ है। इसकी स्थापना 1938 में हुई थी। इसमें तितलियां से लेकर त्रवणकोरी कुछए, मालाबारी मेंढक, लायन टेल्ड मकाउ, होर्नबिल, सन बर्ड, पेड़ पर रहें वाले मेंढक आदि पाए जाते हैं। इसके अलावा, पोनमुडी आयुर्वेदिक उपचार के लिए भी लोकप्रिय है। यहां का मौसम काफी खुशगवार होता है। यह क्षेत्र तिरुवनन्तपुरम से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।

वेलास बीच, महाराष्ट्र

Velas-turtle-beach-maharashtra
Velas-turtle-beach

अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और पर्यटन के दौरन कुछ अलग तरह का अनुभव हासिल करना चाहते हैं, तो महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले में स्थित वेलास गांव पहुंच जाइए। यह छोटा सा गांव है, जहां टर्टल फेस्टिवल मनाया जाता है। ओडिशा तट के बाद पश्चिम भारत का कोंकण तट ओलिव रिडले कछुओं के प्रजनन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। गांव और तमिलनाडु के तटों पर भी कुछ ओलिव रिडले कछुए मिलते हैं। वेलास बीच ओलिव रिडले प्रजाति की आश्रयस्थली है, जो हजारों मील का सफर तय कर महाराष्ट्र के अरब सागर के किनारे अंडे देने के लिए आते हैं।


लोकतक झील, मणिपुर

loktak f
loktak

क्या अपने कभी तैरती हुई झील देखा है? नहीं, तो मणिपुर पहुंच जाइए। राजधानी इंफाल से करीब 53 किमी. ( वाया एनएच 2 ) की दुरी पर लोकतल झील है, जिसे दुनिया की पहली तैरती हुई झील कहा जाता है। पर्यटकों के लिए यह बेहद अद्वभुत जगह है, जो दुनिया में शायद ही कहीं और देखने को मिले। यह साफ पानी की बड़ी झील है, जहां पानी पर छोटे-छोटे द्वीप तैरते हुए दिखाई देंगे। इसे फुमदी कहा जाता है। यह मिटटी, पेड़-पौधों और जैविक पदार्थों से मिलकर बना होता है। फुमदी का सबसे बड़ा भाग  झील के दक्षिण-पूर्व हिस्से में स्थित है, जो तकरीबन 40 स्क्वायर किमी. में फैला हुआ है। आप चाहें, तो फुमदी पर ही बने टूरिस्ट कॉटेज में रह कर यहां के खूबसूरत नजरों का आनंद उठा सकते हैं। अद्वभुत बात यह है कि यहां पर एक तैरता हुआ पार्क भी है, जिसे किबुल लामिआयो नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता है। यह पार्क जैव विविधताओं से भरा हुआ है। यहां जलीय पौधों कि तकरीबन 233 प्रजातियां, पक्षियों की करीब 100 से अधिक प्रजातियां देखने को मिल जाती हैं। इसके अलावा जानवरों की 425 प्रजातियां भी हैं। इसमें भौंकने वाला दुर्लभ हिरण भी है। यहां पर ठहरने की अच्छी व्यवस्था है।


संदकफू, दार्जिलिंग

tiger hill darjeeling
tiger hill

ट्रैकिंग का शौक रखते हैं, तो एक बार आप संदकफू हो आइए। यह ट्रैकिंग के लिए आदर्श जगह है। संदकफू सिंगालिला शंखलाओं की सबसे ऊंची चोटी है। संदकफू का मतलब होता है ‘हाइट ऑफ़ द प्वाइजन प्लांट। यहां चोटी के आसपास जहरीले एकोनाइट के पौधे पाए जाते हैं। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से करीब 3636 मीटर है। संदकफू सिंगालिला राष्ट्रीय पार्क के दायरे में आता है। ऊंचाई की वजह से यहां का मौसम आमतौर पर काफी सर्द होता है। सर्दियों में बर्फ भी खूब गिरती है। इस जगह की खासियत है कि यहां से आप दुनिया की पांच ऊंची चोटियों में से चार को एक साथ देख सकते हैं। ये हैं माउंट एवरेस्ट, कंचनजंघा, लाहोत्से और मकालू। खास कर यहां से कंचनजंघा की चोटियों का नजर तो देखते ही बनता है। जब मौसम साफ हो तो बर्फीली चोटियों पर पड़ने वाली सूरज की लाल किरणों को हीहरने पर्यटक खिंच चले आते हैं। दार्जिलिंग से मनयभंजन 30 किमी. और मनयभंजन से संदकफू 31 किलोमीटर है। इस रास्ते पर ट्रैकिंग ज्यादा मुश्किल भी नहीं है। संदकफू जाने का सफर मनयभंजन से शुरु होता है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यूजलपाईगुड़ी और हवाईअड्डा सिलीगुड़ी के पास बागडोगरा है।

Adventure travel, photography are my passions. Let me inspire you to travel more with crazy stories, photography, and useful tips from my travel adventures.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top