“HemKund Sahib” Religious Travel in uttrakhand

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उत्तराखंड में स्थित श्री हेमकुंड साहिब सिखों और हिन्दुओं का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। समुद्रतल से करीब 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री हेमकुंड साहिब लोकपाल सरोवर के किनारे पर सुशोभित है। चारों ओर पहाड़ियों से घिरे और प्रकृति के मनोहर दृश्यों के समेटे हुए यह स्थान सहज ही यहां आने वालों को आकर्षित करता है। धंधारिया से ट्रैकिंग करते हुए यहां तक पहुंचा जा सकता है, जो बेहद रोमांचक और मनोरंजक अनुभव प्रदान करता है। वादियों के बीच इस प्रसिद्ध सिख गुरद्वारे में भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां पर भगवान राम के छोटे भाई भगवान लक्ष्मण का मंदिर भी है, इसलिए यह स्थान हिन्दुओं के लिए भी उतना ही पूजनीय माना गया है। हेमकुंड के किनारे पर बना यह मंदिर विश्वभर में विख्यात है, क्योंकि लक्ष्मण के मंदिर बहुत कम ही हैं।

बर्फीली पहाड़ियों के बीच
हेमकुंड साहिब चारों तरफ से बर्फीली पहाड़ियों से घिरा हुआ है। पहाड़ों के बीच बहती नदी के स्वच्छ जल में वहां की पूरी प्रकृति की निर्मल छवि दिखाई देती है। सफेद बर्फ की चादर के ढका हाथी पर्वत और सप्तऋषि चोटियां हेमशा हेमकुंड झील को भरा रखती है। पहाड़ों से निकल कर झील में मिलने वाली धारा हिमगंगा नाम से जानी जाती है। पवित्र ग्रंथ साहिब में कहा गया है कि सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिहं जी यहीं हेमकुंड के किनारे ध्यानमग्न हुए थे। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा उसी जगह पर स्थित है जहां श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने तपस्या की थी। इसी मान्यता के चलते हर साल हजारों टी तादाद में भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं।
हेमकुंड का जिक्र रामायण में भी मिलता है। मान्यता है कि जब राम-रावण के युद्ध में लक्ष्मण मेघनाद के हाथों जख्मी हो गया थे, तो हेमकुंड के किनारे पर ही उन्होंने साधना कर अपने स्वास्थ्य को पुन: ठीक किया था। लक्ष्मण मंदिर उसी जगह पर स्थित है, जहां उन्होंने साधना व अध्यात्म के जरिए अपने स्वास्थ्य को पुन: प्राप्त किया था।

आसपास के दर्शनीय स्थल
वैली ऑफ़ फ्लावर्स
वैली ऑफ़ फ्लावर्स धंधारिया से चार किलोमीटर कि ट्रैकिंग पर स्थित है। वैली ऑफ़ फ्लावर्स में विभिन्न प्रजातियों के फूलों को देखा जा सकता है। वर्ष 1982 में इसे नेशनल पार्क घोषित किया गया था, जो आज विश्व विरासत भी है। आध्यात्मिकता और अछूते सौंदर्य से भरपूर यह घाटी न सिर्फ प्रकृति प्रेमी व रोमांच प्रेमियों को लुभाती है, बल्कि विश्वभर के वनस्पतिशास्त्रियों को भी आकर्षित करती है।
घंघरिया
हेमकुंड साहिब व वैली ऑफ़ फ्लावर्स के मार्ग पर यह अंतिम मानव बस्ती है। प्रकृति को गोद में बसा यह छोटा-सा गांव समुद्र तल से करीब 3050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह वैली ऑफ़ फ्लावर्स से चार किलोमीटर तथा गोविंद घाट से 13 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। यहां से हेमकुंड साहिब के लिए ट्रैकिंग का रास्ता यात्रियों के लिए सुगम हो जाता है।

कैसे पहुंचें
हवाई यात्रा: हेमकुंड साहिब का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से सड़क मार्ग से गोविंद घाट तक आया जा सकता है, लेकिन उसके बाद तंग रस्ते होने की वजह से गोविंद घाट से हेमकुंड साहिब तक तकरीबन19 किमी. ट्रैकिंग करनी होती है। गोविंद घाट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से करीब 292 किमी. की दुरी पर है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट के लिए दिल्ली से हर दिन फ्लाइट हैं।
रेल यात्रा: हेमकुंड साहिब का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऋषिकेश से गोविंद घाट तक सड़क मार्ग तक आया जा सकता है, लेकिन उसके बाद हेमकुंड साहिब के लिए 16 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी होगी।

सड़क मार्ग: हेमकुंड साहिब गोविंद घाट तक सड़क मार्ग से जुड़ा है। गोविंद घाट से19 किलोमीटर की ट्रैकिंग कर हेमकुंड साहिब तक पहुंचा जा सकता है। गोविंद घाट उत्तराखंड राज्य परिवहन के लगभग सभी रूटों से जुड़ा हुआ है। हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर के लिए दिल्ली के अंतरराज्यीय बस अड्डे से आसानी से बसें पकड़ी जा सकती है।
गोविंद घाट के लिए ऋषिकेश, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, उखीमठ, श्रीनगर, चमोली व अन्य इलाकों से बसें व टैक्सी उपलब्ध हैं। गोविंद घाट नेशनल हाइवे 58 पर स्थित है। यहां आप अपने वाहन से भी जा सकते हैं।
 

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जाने का सही समय
हेमकुंड साहिब में साल के बारह महीने सर्दी पड़ती है। ऐसे में यदि आप यहां जाना चाहते हैं, तो जून से अक्टूबर का समय सबसे बेहतर कहा जा सकता है। गर्मियों में भी यहां का मौसम ठंडा रहता है। अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है। अगर प्रकृति की छटा करीब से देखना चाहते हैं, तो यही मौसम आपको सुखद एहसास कराएगा। सर्दी के मौसम में यह इलाका बर्फ से ढका रहता है। इन दिनों में यहां का तापमान माइनस 4 डिग्री तक गिर जाता है। जून से अक्टूबर के दौरान यहां का मौसम बेहद सुहावना होता है। यह मौसम यात्रियों के लिए नेशनल पार्क घूमने के लिए बढ़िया माना जाता है। अगस्त और सितंबर का महीना खुशगवार होता है, इस दौरान यहां फूलों की छटा ही निराली होती है। दिसंबर आते-आते बर्फ गिरनी शुरू हो जाती है। हालांकि इस दौरान रास्ते बंद होने लगते हैं, लेकिन सफेद बर्फ की चादर ओढ़े पहाड़ होटल के कमरों से भी मनोरम लगते हैं।

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